The Fact About naat lyrics ala hazrat That No One Is Suggesting
The Fact About naat lyrics ala hazrat That No One Is Suggesting
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salam lyrics
ऐ ज़हरा के बाबा ! सुनें इल्तिजा मदीना बुला लीजिए कहीं मर न जाए तुम्हारा गदा मदीना बुला लीजिए सताती है मुझ को, रुलाती है मुझ को ये दुनिया बहुत आज़माती है मुझ को हूँ दुनिया की बातों से टूटा हुआ मदीना बुला लीजिए बड़ी बेकसी है, बड़ी बे-क़रारी न कट जाए, आक़ा ! यूँही 'उम्र सारी कहाँ ज़िंदगानी का कुछ है पता मदीना बुला लीजिए ये एहसास है मुझ को, मैं हूँ कमीना हुज़ूर ! आप चाहें तो आऊँ मदीना गुनाहों के दलदल में मैं हूँ फँसा मदीना बुला लीजिए मैं देखूँ वो रौज़ा, मैं देखूँ वो जाली बुला लीजे मुझ को भी, सरकार-ए-'आली !
देखूँ तो देखे जाऊँ बराबर, अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर
रब से दु'आ की ज़मज़म को पी कर, अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर
अल-मदद, पीरान-ए-पीर ! ग़ौस-उल-आ'ज़म दस्त-गीर !
सिवाए इब्लीस के जहाँ में सभी तो ख़ुशियाँ मना रहे हैं
बस इक सदा आ रही है बराबर, अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर
फ़ासलों को ख़ुदा-रा ! मिटा दो जालियों पर निगाहें जमी हैं अपना जल्वा इसी में दिखा दो जालियों पर निगाहें जमी हैं फ़ासलों को ख़ुदा-रा ! मिटा दो रुख़ से पर्दा अब अपने हटा दो अपना जल्वा इसी में दिखा दो जालियों पर निगाहें जमी हैं फ़ासलों को ख़ुदा-रा ! मिटा दो जालियों पर निगाहें जमी हैं एक मुजरिम सियाह-कार हूँ मैं हर ख़ता का सज़ा-वार हूँ मैं मेरे चारों तरफ़ है अँधेरा रौशनी का तलबग़ार हूँ मैं इक दिया ही समझ कर जला दो जालियों पर निगाहें जमी हैं फ़ासलों को ख़ुदा-रा ! मिटा दो जालियों पर निगाहें जमी हैं वज्द में आएगा सारा 'आलम हम पुकारेंगे, या ग़ौस-ए-आ'ज़म वो निकल आएँगे जालियों से और क़दमों में गिर जाएँगे हम फिर कहेंगे कि बिगड़ी बना दो जालियों पर निगाहें जमी हैं फ़ासलों को ख़ुदा-रा !
या हुसैन इब्न-ए-'अली ! या हुसैन इब्न-ए-'अली !
मेरा कौन है? सिवाय तुम ही को? अए! प्यारे नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम)
बारगाह - ए - मुस्तुफ़ा में पेश करते हैं दुरूद।
●यक़ीनन वो जन्नत का हक़दार होगा, नात शरीफ हिंदी में लिखी हुई
नअ़रा -ए-तकबीर कह कर रन में जो उतरे फ़राज़।
नबी का लब पर जो ज़िक्र है बे-मिसाल आया, कमाल आया !
mentioned... I read more naats in childhood but they aren't there at YouTube I don't know wherever to discover